प्रियंका गांधी के मुफ्त बिजली के वादे पर आप प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने , कांग्रेस पर साधा निशाना

आम आदमी पार्टी की कामों की सफलता देख मुफ्त बिजली मुफ्त शिक्षा, सिलेंडर सब्सिडी का ट्रंप कार्ड खेल रही कांग्रेस, देखा-देखी झूठी घोषणा करने से कुछ नहीं होता, आम आदमी पार्टी गारंटी की बात कर रही हैं : कोमल हुपेंडी, प्रदेश अध्यक्ष

रायपुर छत्तीसगढ़ ,जनता तक खबर/आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने आदमी पार्टी के कांग्रेस सभाओं में दिल्ली मॉडल की नकल मुफ्त शिक्षा मुफ्त बिजली की घोषणाओं पर तंज कसा है, कोमल हुपेंडी ने कहा कि कांग्रेस को दिल्ली के मुफ्त बिजली मुफ्त शिक्षा मॉडल से बेहद आपत्ति थी पर अब दूसरी ओर चुनावी राजनीति के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सभाओं में जाकर मुफ्त बिजली और मुफ्त शिक्षा की घोषणाएं करना शुरू कर दिया है सूबे की सत्ता में लौटने पर महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये देने, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराने और हर महीने 100 यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली और कृषि ऋण माफी जैसे चुनावी वादे किए, जिन पर आम आदमी पार्टी काम करती आई है।

कोमल हुपेंडी ने कहा, आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की गारंटियों की नकल वाली कांग्रेस को पहले इन नीतियों पर आपत्ति क्यों थी और अब विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के प्रचार चुनाव के आखिरी दिनों में होने कांग्रेस की ओर से मतदाताओं के लिए लुभावनी घोषणाओं की बरसात हो रही है आप की प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंदी ने अरविंद केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ की नकल करार दिया है

आप प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंदी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने रायपुर छत्तीसगढ़ में मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य देने की गारंटी दी है। दिल्ली और पंजाब में हम ये सुविधाएं लोगों को मुफ्त दे रहे हैं ठीक वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी सरकार बनने के बाद हम ये सुविधाएं मुफ्त देंगे।वहीं उन्होंने कहा कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों में मजिस्ट्रेट और ठेले वाले का बेटा एक ही बेंच पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने इस बात की भी गारंटी दी है सब के लिए शिक्षा का स्तर एक समान होगा होगा

कोमल हुपेंडी कहा कि छत्तीसगढ़ में मतदाताओं के बीच भ्रम फैलाने के लिए भाजपा और कांग्रेस की ओर से आकर्षक घोषणाओं का ‘चुनावी ढकोसला’ किया जा रहा है, लेकिन दोनों ही दलों के लिए केजरीवाल के ‘दिल्ली मॉडल’ को जमीन पर उतारना बेहद मुश्किल है।

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