हसदेव अरण्य को बचाना आदिवासी मुख्यमंत्री का पहला कर्तव्य : किसान नेता संजय पंत

रायपुर,जनता तक खबर/सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर कहां की, प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार बनते ही किसान आदिवासी भाइयों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का चक्र शुरू हो गया है। पूंजीवादी एवं शोषणकारी तत्वों के दबाव में झुककर नई सरकार बनते ही सरगुजा एवं कोरबा जिले में फैले हुए हसदेव अरण्य क्षेत्र को निजी हाथों में बेचने के लिए आंदोलन से जुड़े नेताओं की गिरफ्तारियां की गई है।

स्थानीय किसान आदिवासी भाइयों की मर्जी के विरुद्ध सैकड़ो हेक्टेयर की जमीन निजी हाथों में दे दी गई है एवं इस क्षेत्र में फैले हुए हरे-भरे जंगल को काटने की योजना है।

भारतीय किसान यूनियन केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं भाजपा पार्टी से यह सवाल करता है कि आदिवासी हितों की कसमें खाने वाले बड़े-बड़े नेताओं एवं मंत्रियों ने चुनाव के बाद सरकार बनाते ही गिरगिट की तरह रंग क्यों बदल लिया। पूरे भारत देश में केंद्र एवं संबंधित राज्य सरकार द्वारा वहां के स्थानीय निवासियों की इच्छा के अनुसार विकास कार्य किया जाता है लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य के नाम पर आदिवासियों के हितों एवं संवैधानिक अधिकारों का बार-बार उल्लंघन किया जा रहा है। हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थानीय आदिवासी किसान भाइयों की मर्जी के विरुद्ध खनन प्रक्रिया पांचवी अनुसूची, पेसा कानून, ग्राम सभा, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम का सीधा-सीधा उल्लंघन है।

इस पूरे मामले में भारतीय किसान यूनियन नए मुख्यमंत्री से यह अपील करता है कि शोषणकारी एवं पूंजीवादी ताकतों के दबाव में ना आकर जनहित के फैसले ले। भारतीय किसान यूनियन जंगलों की कटाई, आदिवासी किसानों के विस्थापन, वन्यजीवों की सुरक्षा, असंतुलित एवं एकतरफा विकास परियोजनाओं का पुरजोर विरोध करता है।

भारतीय किसान यूनियन राज्य के नए मुख्यमंत्री से यह अपील करता है कि जनहित के लिए हसदेव अरण्य खनन परियोजना तत्काल एवं प्रभावी ढंग से रद्द किया जाए एवं गिरफ्तार आदिवासी किसान भाइयों को जल्दी से जल्दी निसर्थ रिहा किया जाए।

इस परियोजना को तत्काल निरस्त न करने एवं आदिवासी किसान भाइयों को रिहा न करने की स्थिति में भारतीय किसान यूनियन 7 जनवरी को रायपुर स्थित प्रदेश मुख्यालय में एक संगठनात्मक बैठक करेगा।

इस बैठक में राज्य एवं केंद्र सरकार के विरुद्ध एक व्यापक जन आंदोलन शुरू करने की रूपरेखा तैयार की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन प्रभावित आदिवासी किसान भाइयों को यह विश्वास दिलाता है कि किसी भी कीमत पर हसदेव अरण्य खनन परियोजना को शुरू करने नहीं दिया जाएगा।

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