केले की खेती से भरतलाल हुए खुशहाल, सफलता की राह पर हुए अग्रसर : उद्यानिकी विभाग से मिला किसान को अनुदान, तकनीकी मार्गदर्शन, कमा रहे लाखों का मुनाफा

जांजगीर-चांपा, जनता तक खबर/किसान की सफलता के पीछे उसकी कड़ी मेहनत और बेहतर प्रशिक्षण के साथ ही विभागीय मार्गदर्शन भी होता है, ऐसे ही सफल किसान हैं जिन्होंने एक छोटे से प्रयास से अपनी अनुपयोगी भूमि की तस्वीर ही बदल दी है। उनके इस कार्य का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि दो साल में ही उन्होंने अपनी और अपने परिवार की दशा एवं दिशा को बदल दिया।

हम बात कर रहे हैं जिले के पामगढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत चेऊडीह के रहने वाले भरतलाल दिनकर की। कहते है कि जमीन से सोना निकलता है लेकिन सोना ऐसे नहीं निकलता इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और ऐसा ही उदाहरण देखने मिला ग्राम चेऊहीह में रहने वाले भरतलाल दिनकर के यहां। इस किसान ने अपनी जमीन पर मेहनत कर केला की खेती शुरू की।

चार साल पहले किसान भरतलाल ने गाँव में पड़ी अनुपयोगी जमीन पर खेती किसानी का विचार किया। यह विचार ऐसा था कि उनका पूरा परिवार उनके साथ खड़ा हो गया। जमीन को उपयोगी बनाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और इस योग्य बनाया कि उस पर केला का वृक्षारोपण किया, जिसने आज उनकी दशा और दिशा, दोनों ही बदल दी है। उनके इस प्रयास से गाँव में लगभग ढाई एकड़ की इस अनुपयोगी भूमि ने हरित चादर ओढ़ ली है और रोपे गए केले के पौधे पेड़ बन गए।

प्रथम वर्ष में इन केलो की बिक्री से लगभग 1.5 लाख रुपये की आय अर्जित की और दूसरे वर्ष फिर इतना ही मुनाफा कमाने के लिए तैयार हैं। भरतलाल किसान के इस छोटे से प्रयास से जहाँ गाँव में अनुपयोगी भूमि उपयोगी बनी है। वहीं दूसरे किसान भी अपनी जमीन पर उद्यानिकी विभाग के सहयोग से कुछ बेहतर करने की योजना तैयार करने लगे हैं।

भरतलाल बताते हैं कि केला उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु के मद्देनजर जिला मुख्यालय से 26 किमी दूर चेऊडीह ग्राम पंचायत में उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना माध्यम से वर्ष 2022-23 में 2 एकड़ क्षेत्र में केला का वृक्षारोपण कार्य कराया था। इसके लिए विभाग से अनुदान के रूप में 30 हजार रूपए की राशि प्राप्त हुई थी। भरतलाल ने यह परिवार की मदद और विभाग से मिले तकनीकी मार्गदर्शन से कार्य को पूरा किया। पौधरोपण का कार्य कतार विधि से करते हुए उन्होंने किया। इसके अलावा 50 डिसमिल में मखना, 30 डिसमिल में लौकी 20 डिसमिल में करेला की खेती उनके द्वारा की जा रही है।

उद्यानिकी विभाग के माध्यम से उन्हें ग्रीन नेट शेड के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है जो 25 डिसमिल में 3.55 लाख रूपए का अनुदान प्राप्त होना है। भरतलाल के इस प्रयास के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए उद्यानिकी विभाग सहायक संचालक श्रीमती रंजना माखीजा बताती हैं कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के माध्यम से भरतलाल को 30 हजार रूपए का अनुदान केला की खेती करने के लिए दिया गया।

जिससे उन्होंने केला की खेती करते हुए मुनाफा कमाया। अब उनके द्वारा 25 डिसमिल में ग्रीन नेट हाउस निर्माण किया  जा रहा है, जिसकी कुल लागत 7.10 लाख है, इसमें विभाग की ओर से 3.55 से अनुदान दिया जाएगा।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या आप मानते हैं कि कुछ संगठन अपने फायदे के लिए बंद आयोजित कर देश का नुकसान करते हैं?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129